Sunday, April 15, 2012

Mandir bane rahen astha ka kendra


thebhaskar.com se sabhar

मंदिरों में हो रही है दुकानदारी

शिवपुरी. ईश्वर की आराधना करने के लिए भक्तगण मंदिर तो पहुंच रहे और अपनी श्रद्धा स्वरूप दान भी कर रहे है लेकिन आजकल देखने में आ रहा है कि शहर ही नहीं बल्कि कई ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित मंदिर भी अब व्यापारीकरण के साथ व्यवसाय का रूप लेते जा रहे है। अगर शहर की बात हो तो यहां के तमाम ऐेसे मंदिर स्थापित है जहां मंदिरों में आने वाले भक्तों के साथ मंदिर के पुजारी का व्यवहार भेदभावपूर्ण होता है। ऐसे नजारे अब आए दिन इन मंदिरों में देखने को मिल जाऐंगे।
यहां बता दें कि किसी भी मंदिर पर कोई भी पुजारी हो तो वह सभी धर्मों के नागरिक से एक समान व्यवहार व पूजा पाठ करेगा। लेकिन देखने में आ रहा है कि यहां तो कई मंदिर ऐसे है जहां मंदिरों में मौजूद पुजारी अपनी हठधर्मितापूर्ण व्यवहार के चलते एक तरह से मंदिर पर ही अपना कब्जा जमाए बैठे है। शहर से लगभग 8 किमी दूर स्थित सिद्ध क्षेत्र के नाम से जाने वाले इस मंदिर की बात की जाए तो यहां मंदिर के महंत के अलावा जितने भी मंदिर में पुजारी है वह यहां आने वाले भक्त की कथा करते है लेकिन यदि कोई भक्त ही अपने साथ पुजारी को लेकर मंदिर आ जाए तो उसकी कथा यहां नहीं होने दी जाती है। 
 
मंदिरों में वातानुकूलित वातावरण हो ना हो लेकिन इन महंत व पुजारियों के घरा में जरूर वातानुकूलित वातावरण देखने को मिल जाएगा, भगवान के दरबार में टाईल्स लगे न लगे पर महंत व पुजारियों के घरों में महंगे-महंगे टाईल्स लगे हुए देखे जा सकते है। इसी प्रकार का हाल झांसी रोड स्थित प्रख्यात मंदिर में भी देखा जा सकता है यह मंदिर बिना किसी ट्रस्ट के संचालित होकर केवल एक पुजारी के भरोसे चल रहा है। जो आए दिन मंदिर में होने वाले धार्मिक आयोजन में भी स्वयं की जेब से धेला खर्च नहीं करते वरन धर्मप्रेमीजनों पर जरूर इसका भार डाल देते है। ऐसे में मंदिरों में होने वाली यह पूजा-पाठ भी अब व्यवसाय का रूप लेती जा रही है। 
 
इस तरह की हठधर्मिता और स्वार्थों के साथ की जाने वाली पूजा  का नगर के नागरिक विरोध करते है। नगर के नागरिकों की मांग है कि जिला प्रशासन ऐसेे सभी मंदिरों पर जहां पुजारी पूजा पाठ कर मंदिर पर ही अपना आधिपत्य जमा रहे है इन मंदिरों को ट्रस्ट का रूप देना आवश्यक है ताकि इस तरह मंदिरों को व्यवसाय का रूप ना दिया जाए। इस ओर जिला प्रशासन को भी शीघ्र कार्यवाही करनी चाहिए ताकि मंदिरों में आने वाले चंदों को धर्म के कार्यों में लगाया जा सके। 

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