रातरानी रात भर महका करेगी,
रात की हर शै उसे सजदा करेगी|
खुश्बुओं की सादगी को अब सताने,
भुत-सी बागड नहीं मटका करेगी|
स्वपन उलझेंगे न टूटे पात जैसे,
नींद पलकों में नहीं अटका करेगी|
नींद पलकों में नहीं अटका करेगी|
चूक गई चिंताओं की किस्तें पुरानी
उम्र खातों में न अब भटका करेगी|
उम्र खातों में न अब भटका करेगी|
तन-बदन अपना शिकायत से बना है,
जिन्दगी फिर क्या गिले-शिकवा करेगी?
नागाधारी से मिला वरदान जब, तो
शाप की नागीन हमारा क्या करेगी|
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